सर्वे के अनुसार बीजेपी का एक-चौथाई वोटर और कांग्रेस का एक-चौथाई वोटर अभी भी केजरीवाल का मुरीद है। यह दोनों दलों के लिए चिंता की बात है।
कांग्रेस जो उम्मीद लगाये बैठी
है उसे भारी झटका लग सकता है। और बीजेपी जो यह सोच बैठी है कि 2020 के
चुनावों में वह दिल्ली में सरकार बनायेगी, उसे मुँह की खानी पड़ सकती है।
सीएसडीएस-लोकनीति-द हिंदू के सर्वे में यह भी निकल कर सामने आया कि राजधानी
में 54% लोग अभी भी केजरीवाल सरकार को एक और मौक़ा देने के पक्ष में हैं।
मतदाताओं में 36% ऐसे थे जो अभी भी केजरीवाल को मुख्यमंत्री के तौर पर
देखना चाहते हैं।
कुछ-कुछ ऐसा ही समां 2014 में भी था। तब भी ‘आप’ लोकसभा चुनावों में सातों सीट हार गयी थी। ‘आप’ को ख़त्म हो गया मान लिया गया था। पर ‘आप’ 2015 विधानसभा चुनाव में 67 सीटें लेकर लौटी। बीजेपी तब 32 से घटकर 3 पर सिमट गयी थी जबकि कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। लोकसभा चुनावों के समय बीजेपी ने केजरीवाल को तब इस्तीफ़ा देने के कारण ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया था। लोग यह शिकायत कर रहे थे कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा क्यों दिया। लेकिन लोकसभा प्रचार के दौरान ऐसे ढेरों लोग थे जो खुलेआम कहते थे कि केंद्र में मोदी और दिल्ली में केजरीवाल को वोट देंगे। जिन्होंने लोकसभा के नतीजों के आधार पर ‘आप’ को चुका हुआ मान लिया था, उन्हें 2015 विधानसभा में भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।
कुछ-कुछ ऐसा ही समां 2014 में भी था। तब भी ‘आप’ लोकसभा चुनावों में सातों सीट हार गयी थी। ‘आप’ को ख़त्म हो गया मान लिया गया था। पर ‘आप’ 2015 विधानसभा चुनाव में 67 सीटें लेकर लौटी। बीजेपी तब 32 से घटकर 3 पर सिमट गयी थी जबकि कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। लोकसभा चुनावों के समय बीजेपी ने केजरीवाल को तब इस्तीफ़ा देने के कारण ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया था। लोग यह शिकायत कर रहे थे कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा क्यों दिया। लेकिन लोकसभा प्रचार के दौरान ऐसे ढेरों लोग थे जो खुलेआम कहते थे कि केंद्र में मोदी और दिल्ली में केजरीवाल को वोट देंगे। जिन्होंने लोकसभा के नतीजों के आधार पर ‘आप’ को चुका हुआ मान लिया था, उन्हें 2015 विधानसभा में भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।